लाभार्थी

 
राजेन्द्र गुप्त     

साहित्य की नोबल पुरुस्कार विजेता नादिन गोर्दीमर अभी भी मरी नही, भले ही  उनका 90 वर्ष कीं आयु में दस वर्ष पूर्व 13 जुलाई कों निधन हो गया हो। कारण दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की जिस राजनीतिक, सामाजिक और मानसिक बीमारी के खिलाफ लड़ाई महात्मा गांधी और नेलशन मडेला ने लडाई लडी और एक हद तक जीती भी उसके रोगाणु अभी तक मरे नहीं। अमेरिका मे कमला हैरिस के प्रेसीडेंट पद के डेमोकेट उम्मीदवार घोषित होते ही सोशल मीडिया पर जिस तरह की कै और उल्टियां की जा रहीं हैं, वह उसका दर्दनाक उदाहरण है। यह मामला इसलिए भी ज्यादा गंभीर है क्य्रोंकि यहअब्राहम लिंकन के देश में हो रहा है। यहां यह याद दिलाना जरूरी है कि हम जिस नादिन गोर्दीमर की उनकी पुण्यतिथि के चलते उनकी कहानी ए बेनीफिशरी के हिंदी मे सारांश रूप लाभार्थी के माध्यम से उनकी रचनाधर्मिता को सामने लाना चाहते हैं, उसका एक कारण यह भी है कि इस श्वेत लेखिका ने दक्षिण अफ्रीका में अश्वेतों के अधिकारों के लिए कलम और राजनीतिक दोनो स्तर पर जमकर संघर्ष किया।

 कथासार

लाभार्थी

   (ए बेनीफिशरी)

नादिन गोर्दीमर  Nadine Gordimer

सकी मां की अंत्येष्टि हो चुकी थी। उनकी कब्र पर संगमर का ऐसा कोई पत्थर नहीं लगाया गया था, जिस पर उकेरा गया हो गया, ‘लैला डि मोर्न, जन्म, मृत्यु, अभिनेत्री
उन्होंने हमेशा अपनी उमर के बारे में झूठ बोला, यहां तक कि अपने नाम के बारे में भी। उन्होंने अपना जो नाम रखा था वह न तो उनका खानदानी नाम था और नस्ली रूप मे भी इतना सीमित था कि जाति सूची में भी अतिविशेष नजर आता था। यह उनका शादीशुदा नाम भी नही था। उन्होंने अपना नाम स्वयं रखा था, पेशे को देखते हुए। वह लंबे समय से तलाकशुदा थीं हालांकि पचपन-सत्तावन की उम्र में उनकी कार को एक टैक्सी के टक्कर मार देने के बाद ही उनके कैरियर का पटाक्षेप हुआ था।
उसकी बेटी चारलोट अपने नाम के साथ अपने पिता का नाम लगाती थी और बच्चे के रूप में उनके जितना नजदीक हो सकती थी, थी भी। खास तौर पर तब जब उसके पिता के साथ पूर्व पति का मामला जुड़ा हो। जैसे-जैसे चारलोट बड़ी हुई वह खुद को मां की बजाए उनके साथ ज्यादा सहज महसूस करती। संभवतः अभिनय उसके लिए बस बचपन के बनावटी खेलों को जारी रखना सरीखा था। लेकिन, लेकिन क्या? यह वह रास्ता नहीं था जिस पर चारलोट आगे बढ़ना चाहती थी-इसके बावजूद कि उसकी मां ने उसका नाम उस पात्र के नाम पर रखा था जो उसकी मां की प्रारंभिक सफलता के साथ जुड़ा हुआ था और वनस्पत इसके कि उसे नाटक और नृत्य सीखने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। प्रतिभा मे कमी कारण इस क्षेत्र में आगे नहीं जा सकती, अपनी मां की अनकही बातों, तिरस्कार न सही उनके चेहरे पर निराशा का जो भाव आता था, उससे उसे ऐसा ही लगता था।

लैला डि मौर्न अपने किसी प्रेमी के समर्पित नहीं रही, और अभी तक किसी के साथ फिर से व्याह नहीं रचाया। उसका कोई सौतेला पिता नहीं था जिससे संबंधों और निष्ठाओं में किसी प्रकार भ्रम पैदा होता। चार्ली जिस नाम से उसके पिता उसे बुलाते थे कह पाती कि वह मुझसे क्यों उम्मीद करती है कि मैं उसका कहा मानूं ?उसके पिता न्यूरोलॉजिस्ट थे। वे अपनी मां की उस बात को लेकर जो उसने उसके लिए पहले से ही सोच रखा था या उसके पैतृक विकल्प डाक्टर बनने जिसमें उसे लोगों का मस्तिष्क खोलना होगा को लेकर एक साथ हंस पड़ते थे। वे दोनों ही चीजों में बेटी की अरुचि पर एक दूसरे को कुहनी मारकर और जोर-जोर से हंसते रहते।

उसके पिता ने अंत्येष्टि सेवा स्थल पर हमेशा की तरह अपनी बेटी के प्रति संवेदनशील होते हुए मां की स्मृति सभा के आयोजन में मदद की। उसने निश्चित ही न तो अपेक्षा की थी और न ही चाहा था कि वह अपनी पूर्व पत्नी के एपार्टमेंट में आएं और रखने या किसी को सुपुर्द करने के लिए उनके कपड़े या गहने छांटें। वह पहले जिस फर्म में बीमा प्रबंधक की तरह काम करती थी वहां उसके साथ काम करने वाला एक सहेली सप्ताह भर तक उसकी मदद करने के लिए राजी हो गयी थी। अप्रत्याशित रूप से एक और युवा नागरिक अधिकार वकील जो कभी एक दूसरे के प्रति आकर्षित थे किन्तु अपने संबंध को डिनर और साथ-साथ सिनेमा देखने से आगे नहीं बढा सके थे इस मौके पर मदद के लिए आगे आया। कह सकते हैं कि प्रेम संबंध की दिशा में हुई पहल किसी रूप में सामने आ रही थी। लड़कियों द्वारा परिधानों की अलमारी खाली करने पर मदद करने आई सहेली उस पीढ़ी की सभ्याचारी महिलाओं की पोशाकों की विस्तृत दृश्यता से दंग थी और अंदाज लगा रही थी कि इन्हें पहनकर कितने तरह के व्यक्तित्व सामने आ सकते थे-उनके सामने कितने सारे विकल्प थे, खास तौर पर जब आप जींस और टी शर्ट पर सिमिट गए हो। और हो भी क्यों न, चारलोट की मां तो मशहूर अभिनेत्री थी।
…………….
चारलोट ने अपने दफ्तर के पुरुष या महिला किन्हीं के भी ऐसे सुझावो को अनसुना कर दिया जिसमें उन्होंने लैला की निशानियों को बनाए रखने के लिए कहा गया था। कपड़े बांधकर रख दिए गए थे। इनमें से जो नाटक से जुड़े परिधान थे, उन्हें प्रयोगवादी थियेटर मंडली को दे दिया गया और बकाया को मुक्ति वाहिनी को बेघरों के बीच बांटने की खातिर। उसके पिता ने एक प्रापर्टी डीलर को बुलाया ताकि वह एपार्टमेंट को बेचने का इश्तहार दे, यह पूछने के बाद कि क्या वह उसमें रहना चाहेगी। लेकिन वह बहुत बड़ा था, कि उसका खर्च उठाना चार्ली के बूते के बाहर था। और वह ऐसी जीवन शैली के साथ जीना भी नहीं चाहती थी, जो उसकी अपनी न हो, भले उसे उसका कोई किराया न देना हो। वे फिर हंस पड़े लेकिन अपनी समझ पर न कि अपनी मां की आलोचना को लेकर। यदि उसके अन्य पक्ष पर सोचें तो उसके पिता को यह मानने में कोई एतराज नहीं था आखिर लैला, लैला थी।

सामान ले जाने वाले फर्नीचर बेचने के लिए उठाने के लिए आए। उसके मन में थोड़ी देर के लिए आया कि उसका शानदार पलंग रख ले, किन्तु यह सोचकर कि यह तो उसके छोटे से फ्लैट के बेड रूम में घुसेगा भी नहीं, उसने इरादा छोड़ दिया। जब बोझ उठाने वाले सामान लेकर चले गए तो फर्श पर उन जगह पीले निशान दिखाई पड़ने लगे जहां सामान रखा हुआ था। उसने धूल बाहर करने के लिए खिड़कियां खोल दीं लेकिन अचानक जैसे ही मुड़ी उसने देखा कि जैसे पीछे कुछ छूट गया है। दो-चार खाली डिब्बे और कुछ गत्ते जो सुपरमार्केट के आए सामान की पहुंच में इस्तेमाल हुए थे। झुझलाते हुए वह उन्हें बटोरने में लग गई। इनमें से एक खाली नहीं था; ऐसा लग रहा था कि उसमें चिट्ठी-पत्तर भरे हुए हैं। ऐसा कुछ होता है जब कुछ चिट्ठियां तो सहेज कर रख लेते हैं, जब कि कुछ दूसरी छोड़ देते हैं। अपनी अपेक्षाकृत छोटी जिंदगी में उसने स्कूली लड़की कुछ फूहड़ चीजें, खाने के मीनू के पीछे लिखे कुछ सैक्सी वाक्यांश जो एकदा बड़े झूठी तारीफ वाले पर अच्छे लगते हैं, अपनी तालीम से ज्यादा की नौकरी के लिए दी गई दरखास्त नामंजूर होने वाला विनम्र पत्र-एक हितकारी उपदेश जिसे वह असल दुनिया कहती थी। इस डिब्बे में कुछ यादगार चीजें थीं जो अभी तक देखी जा चुकी चीजों से अलग था। यह लिफाफा कुछ निजी चिट्ठियों जैसा प्रतीत होता था; हाथ से लिखा हुआ पता किसी व्यावसायिक संस्थान या बैंक के किसी लोगो के बिना। तो क्या लैला की कोई निजी जिंदगी भी थी जिसका उसके परिवार-थियेटर से कोई ताल्लुक नहीं था। तलाकशुदा माता-पिता की अकेली संतान को परिवार तो नहीं कहा जा सकता।

चारलोट-यही एक पहचान थी जो वह किसी भी संदर्भ में अपनी मां के साथ जोड़ सकती थी- लिफाफे के के कारण उसका ध्यान बंटा । तो क्या उसकी मां की कोई निजी जिंदगी थी, यह कोई ऐसी भौतिक वस्तु नहीं थी जिसे वस्त्राभूषणों के पहनने और उतारने की भांति निकाल फेंका जा सके; एक निजी जिंदगी किसी बेटी के लिए किसी वसीयत में लाभार्थी की भांति तो नहीं छोड़ी जा सकती। जो भी चिट्ठियां लैला ने रखने के लिए चुनी थीं अब भी उसकी थीं; बेहतर यही था कि उन्हें जला दिया जाए, जिससे वे लैला के पास चले जाएं क्योंकि लैला स्वयं खाक हो चुकी थी। क्योंकि उसने कहीं पढ़ा था कि किसी ने कहा है कि कोई भी कहीं किसी वातावरण या परावरण में विलीन नहीं होता। अतिसूक्ष्मातिसूक्ष्म अणु जीवन की अवधारणा से परे समूचे जगत के ऊपर सदैव विद्यमान रहते हैं। जैसे ही उसने इस एक डिब्बे को हिलाया जो खाली नहीं था, ताकि उसके अंदर का सामान बैठ जाए और उठाने पर इधर उधर विखर न जाए, तब ही उसने देखा कि लिखावटी कागज के कुछ पन्ने नीचे की ओर लटक रहे हैं। लिफाफे की गोपनीयता में बंधे बिना उसने उन्हें उठाया और अपने चेहरे की ओर लाई। उसके पिता के हाथ की लिखावट उससे भी अधिक स्पष्ट जितना चार्ली इसे जानती थी। पन्ने के सबसे ऊपर क्या तारीख थी, घर के पते के नीचे जो उसे घर के रूप में याद था जब वह बहुत छोटी थी। चौबीस वर्ष पुरानी तारीख। बेशक उनकी लिखावट में थोड़ा परिवर्तन हुआ है, लेकिन ऐसा तो किसी भी व्यक्ति के जीवन की अवस्थाओं के हिसाब से हो जाता है। उनकी चार्ली अब अट्ठाइस की है, इसका मतलब साफ था कि यह चिट्ठी तब लिखी गई जब वह चार की साल की थी। यह तलाक के ठीक पहले की रही होगी जब वह लैला के साथ नए घर में गई थी।
औपचारिक रूप से चिट्ठी पर पता कागज के बायीं ओर ऊपर की तरफ वकीलों की एक फर्म कपलान मैकलिऑड एंड पार्टनर्स का लिखा था और उनमें से एक विशेष, प्रिय हामिश को संबोधित करते हुए लिखा गया था। लैला इस धरती पर अपनी खत्म हुई शादी का ऐसी व्यावसायिक चिट्ठी सहेज कर क्यों रखे हुए थी जो एक न्यूरोलॉजिस्ट ने किसी कानूनी फर्म को किसी कार दुर्घटना, किसी रोगी की कंसल्टेशन या सर्जरी की फीस का भुगतान न करने का हो सकता था। ऐसा इसलिए हो सकता था क्यों कि उसके पिता ऐसी चिट्ठियां अपने चिकित्सीय या मानवीय धर्म के चलते लिखा करते थे। कई बार ऐसा भी होता है कि पन्ने दूसरे निजी सामग्री के साथ गडमड हो जाते हैं।
चिट्ठी पर अंकित था ‘प्रतिलिपि’

मेरी बीवी लैला एक अभिनेत्री है और अपने करियर के दौरान ऐसे लोगो की संगति में आई जो उससे स्वतंत्र होते हैं जिसे शादी में बंधे युगल साझा करते हैं। मैने उसे सदैव इस बात के लिए प्रोत्साहित किया कि वह अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए उन अवसरों का लाभ ले जो उसे संपर्कों के माध्यम से मिलें। वह अत्यन्त आकर्षक महिला है और मेरे लिए यह प्रत्यक्ष था कि मैं यह बात मानकर चलूं कि ऐसे पुरुष होंगे, निश्चित रूप से उसके साथ काम करने वाले ऐसे अभिनेता होंगे, जो उसके प्रशंसकों से अधिक होना चाहेंगे। लेकिन जब तब उसे तवज्जह मिले और वह भी उसका सामाजिक चुलबुलाहट के आम अंदाज में प्रत्युत्तर दे तो मेरे लिए इसे उसके रूप और प्रतिभा के स्वाभाविक आनन्द से परे देखने की कोई वजह दिखाई नहीं पड़ती। वह इन प्रशंसको के साथ दिल्लगी करेगी, उनके रंग रूप और भाव भंगिमाओं पर कटाक्ष करेगी और यदि वे अभिनेता, निदेशक या नाटककार हुए तो उनके काम पर टिप्पणी करेगी। मुझे पता था कि मैने ऐसी महिला से शादी की है जो  घर पर  बच्चे नहीं पालना चाहेगी, लेकिन कभी कभार इस बारे में बातचीत तो करेगी। उसने मुझसे कहा था हमें एक बेटा चाहिए। तब ही उसे एक नए नाटक में भूमिका मिल गई और इस विचार को जानबूझकर टाल दिया गया।

एक कामयाब शुरुआत के बाद उसका करियर उसकी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं बढ़ रहा था। उसे वे बहुत सारी भूमिकाएं नहीं मिल रही थीं जो उसने बड़े यकीन से अपने लिए सोच रखी थीं। वह एक रात उत्साह से भरी घर लौटी और मुझे बताया कि उसने देश के बाहर एडिनबर्ग फ्रिंज फेस्टीविल में होने वाले एक नाटक में छोटी सी भूमिका करना मंजूर कर लिया है। उसका चयन इसलिए हो सका क्योकि एक बड़े अभिनेता रेंडल हैरिस ने खुद कास्टिंग निर्देशक को बताया कि वह थियेटर ग्रुप की युवा महिलाओं सबसे अधिक प्रतिभाशाली है। मुझे इस बात से बहुत खुशी हुई और हमने अपने घर नाट्यमंडली के ब्रिटेन रवाना होने की पूर्व की रात्रि अपने घर एक पार्टी भी रखी। एडिनबर्ग के बाद उसने कुछ समय लंदन में बिताया यह कहते हुए कि यह अनुभव अच्छा और जरूरी था कि वह जाने कि वहां इस समय थियेटर में क्या चल रहा है और मुझे लगा कि वह वहां अभिनय परीक्षा में अपनी तकदीर आजमाने में लगी है।

संभवतः उसने वापस आने का नहीं सोचा था। लेकिन वह लौटी। कुछ हफ्तो बाद उसने मुझे बताया कि वह अभी हाल में प्रसूति विशेषज्ञ के यहां गई थी और उसने बताया कि मैं गर्भवती हूं। मैं झूम उठा। मुझे उसका गर्भधारण करना ऐसे भाग्य की भांति लगा जिसकी उम्मीद न रही हो। मेरा अनुमान था कि पार्टी वाली रात जब हम प्यार में डूबे थे, तो उसने यथारीति सावधानी बरती होंगी; हमने पी भी नहीं थी, हालांकि वह आनन्दविभोर भी थी-जो हमारी रास न आ रही शादी में परिवर्तन का परिचायक था। मैं चिकित्सा विशेषज्ञ हूं, एक न्यूरोलॉजिकल सर्जन।
जब बच्चा पैदा हुआ, वह मुख वाले किसी नवजात शिशु की ही भांति था, किन्तु कई महीनों बाद हरेक ने यह पाया कि वह छोटी लड़की बिल्कुल अपनी मां लैला की प्रतिछाया थी। एक दिन शनिवार अपरान्ह की बात है जब वह बच्ची एथलीट की भांति अपने हाथ-पांव चला रही थी और हम अपनी बच्ची के शारीरिक विकास और सुंदरता की तारीफ कर रहे थे, मैने मजाक में कहा कि भाग्यशाली है कि सूरत में वह मुझे नहीं पड़ी ।तब ही मेरी बीबी ने उसे उठाकर मेरे पास से हटते हुए कहा, यह तुम्हारी बच्ची है भी नहीं। वह एडिनबर्ग में किसी से मिली थी। मैने उसे गुस्से भरे सवालों के साथ टोका। नहीं, उसने बात बनाते हुए कहा, ठीक है।

अफसाना लंदन में शुरु हुआ था। जिस बड़े अभिनेता ने उसे नाटक में छोटी सी भूमिका स्वीकार करने के लिए तैयार किया था उसने वहां उसे किसी मिलवाया था। कुछ दिनों बाद उसने स्वीकार किया कि वह ‘किसी’ और कोई नहीं बल्कि वह बड़ा अभिनेता ही था। वही हमारी लड़की का पिता है। यह बात उसने अन्य लोगों हमारे दोस्तों को भी बताई जब प्रेस के माध्यम से हमने यह समाचार सुना कि अभिनेता रैंडर हैरिस टॉम स्टापर्ड और टेनसी विलियम्स के नाटकों मे अपना नाम कमा रहे हैं। मैं तय नहीं कर पा रहा था कि किस बात पर यकीन करूं। मैने इस मामले में अपने चिकित्सीय व्यवसाय के विशेषज्ञों से भी गर्भधारण करने की अवधि में संभावित विविधताओं के बारे में परामर्श किया। मोटे तौर पर यह संभव था कि गर्भ मुझसे ठहरा हो या मुझसे संभोग के कुछ दिनों पहले या बाद में किसी और पुरुष से । लैला ने यह इरादा कभी नहीं जताया कि वह बच्चे को लेकर उस आदमी के साथ जिंदगी गुजारे। यह बात इस बात को बड़े शान से बताती थी कि वह बहुत हद तक उसके या उसकी संभावित संतान अफेयर को जाहिर नहीं करना चाहता।
लैला ने स्वयं को अपने अभिनय करियर के लिए समर्पित कर दिया है, नतीजतन मेरे लिए छोटी बच्ची जो अब चार साल की हो गई्र है, की देखभाल के लिए सामान्य पिता से अधिक समर्पित हूं और अपनी इस धारणा के समर्थन में सबूत भी पेश कर सकता हूं कि वह मेंरे लालन-पालन में सबसे ज्यादा खुश रहेगी। मुझे उम्मीद है कि अपना पक्ष रखने के लिए इतना काफी है। मेहरबानी कर मुझे बताएं कि इस संबंध में और भी अधिक विवरण प्र्स्तुत करने की जरूरत है या मैने जितना बताया है, उतना ही ज्यादा है। मेरी चिकित्सा जगत की लष्टम-पष्टम भाषा में रिपोर्ट लिखने की आदत है और सोचता हूं कि यह कुछ उससे अलग है। मैं नहीं समझता कि मुझे  निगरानी आसानी से मिल जाएगी। लैला यह साबित करने में अपनी सारी नाटकीय चतुराई लगा देगी कि यह बच्ची मेरी नहीं है।
आप ऐसी किसी ऐसी चीज को कैसे जज्ब करते हैं जो आपकी भावनाओं की भाषा के लिए अनभिज्ञ है। इसका आघात जैसे कानों में गूंज रहा था। इस रोकने के लिए, आप पलटकर पहले पन्ने पर जाते हो और फिर से चिट्ठी पढ़ते हो। उसमें वही बात मिलती है जो अभी कही गई थी। अपने अंदर ही अंदर अपने भभुकते हुए सांस रूके नथुनो के नीचे छाती, पेट, पैरों और हाथों पर ढेर हो जाना, हाथों का भी न केवल कमजोर महसूस करना बल्कि वह पकड़ से बाहर जाना। कातरता, यह कमजोर घ्वनि का शब्द जिसका अर्थ बड़ा भयावह है। जब आपको ऐसा कुछ पता चलता है, तो आप क्या करते हो? कुछ ऐसा जिसने अब आपके अस्तित्व के लिए कुछ न छोड़ा हो। उसे पकड़ने भागो? उनकी यह चिट्ठी उन्हीं पर या मां पर दे मारो। किन्तु मां तो अब इससे परे हो गई है, श्मसान से धुएं में विलीन हो गई है। वही केवल ऐसी है, जो इसकी सचाई जानती है, या जानती थी।
बेशक उन्हें उसके लालन पालन का अधिकार का नहीं मिला, उन्हें तलाक तो मिल गया किन्तु चार साल की बच्ची मां को मिली। यह स्वाभाविक है, खासकर छोटी बच्ची के मामले में, बच्चा मां के साथ रहता है। उनके इस ‘निपटारे’ के बावजूद जिसमें उनकी पैतृकता अस्वीकृत हुई हो उन्होंने बच्चे के गुजारे भत्ते का भुगतान किया। महंगा बोर्डिंग स्कूल, नाटक और नृत्य की कक्षाओं की फीस सेसेल्स मे छुट्टियां बिताने, और अपनी मां के साथ तीन बार स्पेन, एक बार फ्रांस और एक बार यूनान की यात्रा का खर्च उन्होंने बड़ी उदारता से उठाया। वह न्यूरोलॉजिस्ट थे और अपने व्यवसाय में मां के अभिनय करियर से ज्यादा सफल थे। लेकिन अधिक कमाना उनकी उदारता की बजह नहीं था।यह बात केवल उसी से पूछी जा सकती थी कि वे इतने प्यारे पापा क्यों रहे। उसने और उसके पिता ने अपने पसंदीदा रेस्तरां में अपने नियमित डिनर किए, वह उस निदेशक की विदेशी फिल्म देखने गई जिसके काम की वह प्र्शंसक थी

चारलोट को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने दोनों पन्ने जोड़े और किसी तरह से लिफाफे में घुसेड़ा और उसे हाथ में लेकर डिब्बों और दूसरी चिटिठ्यों को वहीं छोड़कर लैला का एपार्टमेंट बंद कर बाहर आ गई।
………………दूसरी रात. चार्ली को गुस्से में लगा कि उसके डाक्टर पिता द्वारा उसे अपनाए रखने का एक कारण यह भी हो सकता है कि लैला को यह लगा हो कि यदि वह थियेटर में अपने कैरियर को उस मुकाम तक न पहुंचा सकी हो, वह चाहती हो तो कम से कम उस कलाकार के बच्चे की मां तो बन ही सकती हो जिसने थियेटर मे बुलंदियां छुई हों। ऐसे में उसके डाक्टर पिता के घायल पौरुष ने किसी दूसरे व्यक्ति की मर्दानगी को नकारने और अपने औरस कणों को विजेता घोषित करने की गरज से उसे बेटी के रूप में स्वीकार किया हो। लेकिन जैसे ही सुबह हुई और पिछले दिन की मानसिक उथल-पुथल शांत हुई, उसका मन अपने पिता के बारे में इस प्रकार घटिया ढंग से सोचने पर लज्जा और ग्लानि से भर गया। चार्ली को इसका एक और जो कारण समझ आया और शायद वह थोड़ा दुःखदायी होने के बावजूद ज्यादा गलत भी नहीं था कि उन्होंने उसे अपनाकर एक प्रकार गुजारा भत्ता अदा किया हो और एक और प्रकार गुजारा भत्ता परंपराओं का पालन करते हुए उसे प्रेम देकर अदा किया हो। उन्हें लगा हो यदि उन्होंने दोबारा शादी कि तो उनकी पत्नी वैसी ही होगी जैसी उन सफेद पोशाकधारी डाक्टरों की होती हैं जो मेडिकल काउंसिल के डिनर में आती हैं। और लैला तो लैला थी। फिर दोबारा जोखिम कभी नहीं।

ऐसी चिट्ठी जिसका ताल्लुक ऐसी बेटी से था जो किसकी थी, पता नहीं था।घर बदलने के साथ जगह-जगह घूमती रही। कभी गर्म कपड़ों की अलमारी मे तो कभी गहने रखने की संदूक में तो कभी नाटकों की किताबों के बीच। जब आपका दिमाग कई तरफ चलता है तो उसके निहितार्थ व्यक्ति को ऐसा बनाते हैं, जो बिल्कुल वैसा नहीं होता जैसा वह चाहता है।  अगली रात  दीवानी के वकील मार्क ने उसे सुझाव दिया वह चिट्ठी को फाड़कर फेंक दे। इस पर जब उसने कहा कि उसके लिए यह कागज का टुकड़ा भर नही है तो मार्क ने जवाब दिया – डीएनए टेस्ट करा लो। उनके खून का नमूना या सिर का बाल लेकर प्रयोगशाला में चली जाओ। उसने सोचा कि यह वह कैसे कर सकती है। क्या रात में जब उसके पिता सो रहे हैं, उनका चुपके से कोई बाल तोड़ ले। चिट्ठी को फाड़ देना उस व्यक्ति की आसान सलाह हो सकती है, जो नासमझ हो, मामले की नाजुकता से बेखबर हो और चार्ली उनमें से नहीं थी।

इसी बीच एक खबर प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया की सुर्खियों मे छा गई कि एक स्थानीय थियेटर ने मशहूर नाटकों के एक सत्र को निर्देशित करने के लिए जाने माने कलाकार और निर्देशक रेंडाल हैरिस को आमंत्रित किया है। वे निर्देशन के साथ नाटकों की मुख्य भूमिका में भी होंगे। रैडाल हैरिस, यही नाम था जिसका जिक्र उसकी मां ने किया था। वह सोचने लगी यदि उसकी मां धुंए विलीन न होती तो वह उससे मिलने अवश्य आता। क्या उसने अपनी बच्ची को उसके बाद से कभी देखा होगा, जब वह दो साल की थी। वह पच्चीस साल के लिए उन्हें छोड़कर चला गया था। दो सला की बच्ची को क्या याद रह सकता है? वह अपने मित्रों या वकील प्रेमी के साथ थियेटर जाती रहती। लेकिन इस बार वह न तो अपने मित्रों और न ही अपने वकील प्रेमी मार्क के साथ थियेटर जाना चाहती थी। इसकी साफ वजह थी कि वह इस आवेग में थियेटर जाना चाहती थी कि वह अपने उस पिता से मिले जो उसे नहीं जानते थे।
वह उन सभी शोज को देखने गई जिस-जिस में हैरिस की रंगमंच पर कलाकार के रूप मे भूमिका में थे। उसे सीट पीछे मिले या बीच में या फिर आगे, मायने नहीं रखता था। हालांकि वह किसी ग्रुप का हिस्सा नहीं थी, किन्तु एक रात उसने भी आटोग्राफर चाहने वाले के रूप में उनके पास जाने की कोशिश की। एक बार उसकी आंखें भी उससे मिलीं। उसके चेहरे की बनावट, उसके चलने का अंदाज, उसकी भाव भंगिमाएं और चेहरे के मनोभाव सब उसे जाने-पहचाने लग रहे थे। उसे ऐसा लगा जैसे वह उसे जानती हो और उसकी अंतरंगताएं उसे जानती हों। यदि संकेतों का अनुसंधान किया जाता तो वे विश्वास के रूप में सामने आते। बॉक्स आफिस पर एक ढर्रे वाला प्रश्न था क्या आपके पास पूरे सत्र का टिकट है? उसने सोचा यह तो तब ही खरीद लिया गया था जैसे ही रैंडाल हैरिस के आने का पहला ऐलान हुआ था।
एक रात नाटक खत्म होने के उपरान्त अपने दोस्तों के साथ बार गई। इत्तफाक से वहां रेंडाल हैरिस भी पहुंच गए। दर्शकों का से उनसे मिलने का ऐसा जुनून सवार हुआ कि उसके दोस्तों में किसी ने उसका यह परिचय भी नहीं कराया कि वह थियेटर कलाकार लैला की बेटी है। पार्टी खत्म होने के बाद एक ऐसा मौका आया जब रैंडाल की पीठ ठीक उसके सामने आ गई। अचानक वह पीछे मुड़े और जैसे कि उन्होंने उससे बात करने का पहले से मन बना रखा हो बोले, मैं अपने नाटकों के बारे में दर्शकों की राय जानना पसंद करता हूं। आप जिस प्रकार की दर्शक हैं, मैं चाहता हूं कि इतवार को दोपहर बाद मेरा ‘वोल सोयनिका’ नाटक देखने आएं। मुझे अच्छा लगेगा कि इसके पहले कि मैं आपको थियेटर के अंदर आपकी पसंदीदा सीट पर ले जाऊं हम रेंस्तरां में हल्की-फुल्की चर्चा कर लें। निर्धारित दिन के शो में रेंडाल उसकी बगल वाली सीट पर बैठे और बीच-बीच में उसका ध्यान खींचने के लिए मद्धिम स्वर में टीका-टिप्पणी करते रहे। वे शायद ऐसा इसलिए भी कर रहे थे क्योंकि रेस्तरां में लंच के दौरान उसने उनसे कहा था कि वहसमीक्षकमिजाज’ बंदी है इसलिए कलाकारों की कला को परखने या निदेशक की स्रजनशीलता की व्याख्या करने में कमजोर नहीं है। एक बार उसे इस बात पर यकीन करने का दिल चाहा कि शायद उन्हे उसके खून में उसकी मां से मिली संवेदनाओं की गंध मिल गई है। उसे समझ नहीं आया कि वह उन्हें बताए या न बताए कि वह लैला की बेटी है जो अपने नाम के साथ लैला के पति के नाम से जानी जाती है।
काफी दिनों से चार्ली के अपने पिता के साथ डिनर टलते जा रहे थे और आज जो हुआ उनमें वह गर्मजोशी नहीं थी उसके पिता ने महसूस किया। उन दोनों के पास बातचीत का कोई विषय नहीं था, जब तक कि चार्ली अपने नए संबधों के बारे में न बताती। चलिए इस नाटक को देखने चलते हैं,  आजकल बड़ी चर्चा है। मैं टिकट ले लूंगी। इस पर उसके पिता ने कोई न-नुकुर नहीं की, संभवतः वे भूल गए थे कि रेंडाल हैरिस कौन है या हो सकता है। वह उसे मधुशाला की ओर ले गए यह जताते हुए कि उनकी नाटक में काफी दिलचस्पी है। उन्होंने वर्षो से ब्रेख्त का कोई नाटक नहीं देखा था और वोर वेल नाटक भी ऐसा नहीं था जिसे कहा जाए कि उसकी प्रासंगिकता नहीं रह गई है। वह विलंब नही करना चाहती थी इसलिए उसने ड्रिंक के लिए मना भी किया किन्तु उसके पिता ने यह कहकर कि उन्हें प्यास लगी है इसलिए एक बियर लेंगे कहकर आगे बढ़ गए। इतने में पीने वालों के बीच में नाटक का प्रमुख पात्र सामने आया और लोगों से बात करने लगा।
और इसके बाद पहुंचे रेंडाल, मेरे पिता। बधाई हो, गजब का परफरमांस, समीक्षकों ने झूठ नहीं कहा था। आज रात मेरी तबियत ठीक नहीं थी। मैं अपनी लय खो रहा था, चारलोट तुमने मुझे पहले बेहतर रूप में देखा है, है न डार्लिंग।
उसके पिता ने बियर का गिलास उठा लिया था लेकिन शुरु नहीं किया था। पिछली बार मैने तुम्हें नाटक में अनाश्रम के सेट में देखा था। उसमें लैला डि मोर्न चारलोर्ट कौरडे थी उसके पिता ने बताया। एक बार फिर उसे यह स्थिति और समय सही नहीं लगा जिसमे वह कह सके कि लैला डि मोर्न मेरी मां थी और इस नाटक के पात्र चारलोट के नाम पर ही उसका नाम रखा गया। आखिर लैला लैला थी।
ट्रैफिक लाइट पर वे चुपचाप ग्रीन लाइट का इंतजार कर रहे थे। उसके पिता ने अपनी हथेली से उसके सिर के पीछे वैसे ही सहलाया जैसे वह उसे बोर्डिंग स्कूल ले जाते समय करते थे। उसे उन्हें उनके अपार्टमेंट तक छोड़ना था, लेकिन जैसे ही उसके प्रवेश द्वार पर पहुंची वह कार के अपनी ओर के दरवाजे से अपनी ओर और उसके पिता अपनी ओर के दरवाजे बाहर उतरे। वह उनके साथ सड़क पर चलने लगी। क्या बात है, वह बोले? उसने सिर हिलाकर कहा- कुछ नहीं। वह उनके पास आई और उसे देखकर बिना कुछ सोचे समझे अपनी बाहों में ले लिया। उसने अपने पिता को कसकर पकड़ लिया। उसके पिता ने उसके गाल पर चुंबन लिया और उसने अपने पिता के। इसका डीएन से कोई लेना देना नहीं था।

हिंदी रूपांतरण
राजेन्द्र गुप्त

 

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