एलिस मुनरो

एलिस मुनरो का भूत और छोरा-छोरी

 

मैं वैश्विक कथाकार एलिस मुनरो को लेकर वर्ष 2014 में बड़ा रोमांचित था क्योंकि उन्हें नोबल प्राइज दिए जाने के एक साल बाद मैने स्वान्तःुखाय उनकी नेट पर फ्री कहानी ब्वाइज एंड गर्ल्स के सार का हिन्दी रूपान्तरण किया था। लेकिन मई 2024 में उनके निधन के दो महीने बाद ही उनकी बेटी एन्द्रिया मुनरो स्किनर ने टोरोंटो स्टार में प्रकाशित उस लेख के बाद सन्नाटे में हूं जिसमें उन्होंने अपनी मां को अपने उस सौतेले पिता जेराल्ड फ्रेमलिन के साथ खडे होने का पर्दाफाश किया है, जिसने उसका 9 वर्ष की आयु में यौन शोषण किया था।

एन्द्रिया के मुताबिक हालांकि उसने यह बात अपनी मां को सोलह साल बाद बतायी थी, लेकिन उनकी मां ने उसका साथ देने की बजाए अपने दूसरे पति के लोलिटा कांप्लेक्स के तर्क को तरजीह देकर कुछ ही दिनों में माफ कर दिया था और साथ रहने लगी थी। एन्द्रिया को मां के इस व्यवहार ने उसे अंदर तक तोड़ दिया था और लबे समय तक मानसिक प्रताड़ना की शिकार रही। एन्द्रिया ने बहुत बाद में सौतेले पिता को यौनशोषण की कमतर डिग्री के तहत ही दो साल की सजा दिलाने में सफलता भी हासिल की और इससे उसे थोडी तसल्ली भी मिली। लेकिन अपने खून और लिंग की मां से उसे जो अन्याय मिला उसके प्रतिकार का इससे शालीन किन्तु तीक्ष्ण तरीका और क्या हो सकता था। आगे न अब कोई इंटरव्यू और न कोई आत्मकथा एन्द्रिया ने टोरेंटो स्टार के जुलाई वाला ऐशे मे कहा।इसे हम एक बेटी की अपनी मां के लिए अनूठी आबुचरी भी कह सकते हैं। सालों के जमा पीव को बहाने लिए इतना काफी हो जैसे। लंबे समय से सवार किसी भूत से मुक्ति पाने जैसा।

न्द्रिया मुनरो स्किनर की यह व्यथा अपनी मां एलिस मुनरो के व्यक्तित्व और कृतित्व के दोगलेपन को उजागर कर साहित्य जगत की पाकीजगी पर सवाल उठाती है और आगाह करती है कि कथाकार जिन मूल्यों को अपनी किस्सागोई में पिरोते हैं, उन्हीं जीवन में जिएं भी। एन्द्रिया के इस रहस्योदघाटन ने अपनी मां को नार्मन मेलर, रोमन पोलंस्की, वूडी ऐलन जैसों की तरह कटघरे में खड़ा कर दिया है। इससे एलिस मुनरो की रचनाधर्मि्ता की साख पर कितना बट्टा लगेगा यह तो समय ही बताएगा, लेकिन पुरस्कार देने वाली संस्थाओं के लिए यह सबक कि किसी रचनाकार को सम्मानित करने के पूर्व वह उसके व्यक्तित्व की कुंडली भी खंगाल लें। यदि नेचुरल जस्टिस की बात है तो मुनरो नोबराल प्राइज मिलने के बाद से ही यानी 11 साल तक डिमेंशिया रोग से पीड़ित रहीं और स्मृतिलोप में ही चल बसीं।

जहां तक मुनरो के कथाशिल्प में योगदान की बात है तो यह है कि वह काल की परिधि में कथानक को बढ़ी सहजता और रोचकता से आगे पीछे ले जाती हैं। कुछ लोग उनमें चेखोव की झलक पाते हैं। वैसे तो उन्होंने अपने छात्र जीवन में लिखना प्रारंभ कर दिया था, लेकिन उनके लेखन के विधिवत् प्रकाशन का सिलसिला वर्ष 1968 से ‘डांस ऑफ हैपी शेड्स से प्रारंभ हुआ और वर्ष 2012 के -डियर लाइफ’ तक जारी रहा। नोबेल पुरुस्कार के पूर्व वह मैन ऑफ द बुकर प्राइज, राइटर्स ट्रस्ट ऑफ कनाडा जैसे अनेक साहित्य पुरुस्कारों से सम्मानित हो चुकी थी। वैसे मन तो दुविधा में है, लेकिन यह सोचकर कि मैने उनकी जिस कहानी का सार रूपान्तरण किया था, वह उन्होंने 1964 में लिखी थी, तब वह जेम्स मुनरो की पत्नी थी, जिससे एन्द्रिया सहित तीन संतानें हुई और एन्द्रिया ने अपनी मां की मानस स्त्री को जीकर अपनी मां के खिलाफ उनकी मौत के बाद भी बिगुल फूंकने का साहस दिखाया।

व्वाइज एंड गर्ल्स मे मुनरो ने बचपन से ही समाज में लड़कों की तुलना में लड़कियों के दृष्टिकोण को जिस ढंग से प्रस्तुत किया है, वह बाल मनोविज्ञान में उनकी संवेदनशीलता पराकाष्ठा का प्रतीक है। कनाडा में भारत के खटिक सरीखे व्यवसाय के वातावरण में पल़-बढ़ रही 10-11 साल की बालिका अपनी कोमल भावनाओं और आजादी की छटपटाहट लिए जी रही है, यह कथा का मर्म है, जिसे जानने की उत्सुकता पाठक को अवकाश नहीं लेने देती, यही मुनरो के कथाशिल्प की विशेषता है।

– ब्लागर राजेन्द्र गूप्ता

छोरे-छोरियां
(ब्वाइज एंड गर्ल्स)


एलिस मुनरो
मेरे बापू खटिक थे। वे लोमडी़ पालन करते थे। बापू बाड़े में चांदी जैसे फरों वाली सिलवर लोमड़ियों की तब तक परवरिश करते जब तक जाड़ा पडना शुरु नहीं हो जाता। इस मौसम में लोमड़ियों के मुलायम बाल जैसे ही घने होते वे उन्हें हलाल कर देते। उनकी खाल उतारते और उनके चमड़े को हडसन बे कंपनी या मांत्रियल फर टेडर्स को बेच देते। बापू यह काम क्रिसमस के कई हफ्ते पहले रात का खाना खाने के बाद घर के तहखाने में करते। चूने से पुते तहखाने में मांस काटने की तख्ती के ठीक उपर एक सौ वाट का बल्ब जलता रहता था। मेरा छोटा भाई लेयर्ड और मैं तहखाने में जाने वाली सीढ़ी की सबसे उंची पादान पर बैठकर पूरा नजारा टकटकी लगाकर देखते थे। बापू जब लोमड़ी के शरीर से उसकी खाल उतार देते, तो बालों का बजन कम हो जाने के कारण वह अविश्वसनीय रूप से छोटी और चूहे जैसी लगती। लोमड़ियों के बिना खाल के नंगे और चिपचिपे लौंदों को बोर में उठाया जाता और गड्ढें में दफना दिया जाता। एक बार हमारे यहां काम करने वाले हेनरी काका ऐसी ही एक बोरे से मुझे हल्का सा धक्का देते हुए जब ‘क्रिसमस प्रेजेंट’ बोले तो मेरी मां को इसमें ठिठोली जैसे कुछ नहीं लगा। दरअसल हमारी अम्मा को यह चमड़े वाल काम ही पसंद नहीं था जिसमें लोमड़ी को हलाल करना, उसकी खाल उतारना और उसे साफ कर ‘फर’ तैयार करना होता था। वे नहीं चाहती थीं कि यह काम घर में हो। इस काम से घर से एक खास किस्म की गंध फैलती थी जो हमें संतरे और अनानास जैसे मौसमी फलों की गंध के माफिक लगने लगी थी।
हमारे बापू ने लोमड़ियों के लिए एक जीती जागती दुनिया बना दी थी। किसी मध्ययुगीन कस्बे की भांति लोमड़ियों के अहाते के चारों ओर उंची बाड़ लगाई गई थी और एक फाटक जो रात में बंद कर दिया जाता था। बापू ने बड़े ही सलीके से लोमड़ियों के खाने-पीने रहने और कड़क सर्दी में सुरक्षित होकर सोने की व्यवस्था कर रखी थी। बापू का दिमाग बहुत चलता था। रोबिंसन क्रूज उनकी पसंदीदा किताब थी। घरेलू कामों को सहज बनाने के लिए वे नई-नई तकनीकें भिडाते रहते। उन्होंने एक व्हीलबैरो पर एक टिन का ड्रम इस प्रकार फिट किया हुआ था कि पानी बाड़े तक अपने आप पहुंच जाता। गर्मियों में लोमडियों को सुबह-शाम पानी पिलाने की जिम्मेदारी मेरी थी। मैं ड्रम से कैन में पानी भरती और अहाते कें अंदर की पगडंडी से होते लोमड़ियों तक पहुंचाती। मेरे बापू मेरी कैन तीन चौथाई ही भरते। उन्हें लगता कि मैं इससे अधिक बजन न उठा पाउंगी। इस वक्त मेरा छोटा भाई लेयर्ड भी वहां आ जाता और अपनी क्रीम और हरे रंग की बगीचे वाली छोटी केन में उपर तक पानी भरकर चलता। ऐसा करते समय कैन उसकी टांगों से टकराती और इससे जो पानी छलकता उससे उसके कैनवास के जूते सोख लेते।
सभी लोमड़ियों के नाम थे जो उनके ओसरे की फटकिया के बाहर टंगी टिन की तख्ती पर लिखा होता था। ये नाम उनके पैदा होने के समय नही बल्कि पहले साल खाल उतारने की प्रक्रिया से जिंदा बच निकलने वाली उन लोमड़ियों के रखे जाते थे, जिन्हें बच्चे जनने के लिए सुरक्षित रखा जाता था। जिनके नाम मेरे बापू ने रखे थे, उनमें प्रिंस, बॉब, वैली और बैटी सरीखे जैसे नाम थे। मैने स्टार,या तुर्क या मौरीन और डायना जैसे नाम रखे थे। लेयर्ड ने एक का नाम पहले हमारे घर काम कर चुकी लड़की के नाम पर माउद और दूसरे का नाम अपने साथ पढ़ने वाले़े लड़के के नाम पर हैराल्ड रखा। एक और का नाम उसने मैक्सिको क्यों रखा था, यह उसे खुद पता नहीं था। लेकिन नाम रखने से लोमड़ियां पालतू जानवरों जैसा व्यवहार करती हों, ऐसा कुछ नहीं था।
हम में से और कोई नहीं बल्कि बापू ही हमेशा उनके ओसरे तक जाते और वे उन्हें कितनी ही बार काट लेतीं। मैं जब उनके लिए पानी ला रही होती तो वे मुझे अपने ओसरे में उछलकूद करते दिखतीं और यदाकदा ही भौंकते मिलतीं। शायद वे अपनी भौंकने की ताकत रात के सामूहिक आलाप के लिए बचाकर रखती थीं। लेकिन मुझे देखते समय नुकीले और शिकारी चेहरों पर उनकी आंखें जलती और चटख सोने जैसी दिखतीं। इससे परे अपनी कोमल टांगों और भारी-शाही पूंछों और पीठों के नीचे की ओर निकले चमकदार बालो के कारण बड़ी सुंदर दिखती थीं।
पानी देने के अलावा मैं लोमड़ियों के ओसरों के बीच-बीच में उग आई उंची-उंची घासों और सफेद, बैंगनी, पीले फूलों वाले ‘मनी मास्क’ पौधों को साफ करने में बापू की मदद करती। वे उन्हें हंसिए से काटते और मैं उनके गट्ठर बनाकर रखती। बाद में वे एक नुकीला डंडा लेते और कटी हुई घास को ओसरों के उपर बिखरा देते ताकि लोमड़ियों के शरीर को ठंडक और उनके फरों को छांह मिले जो बहुत अधिक धूप के कारण भूरे होने लगते थे। मेरे बापू मुझसे तब ही बात करते जब उन्हें कोई काम होता। इस मामले में वे मेरी अम्मा से बिल्कुल अलग थे, जो यदि प्रफुल्ल होतीं तो मुझे हर तरह की बात करतीं, उस कुत्ते का जिक्र करतीं जो उनके पास तब था जब वे छोटी थी, उन लड़कों के नाम लेतीं जिनके साथ बड़े होने पर घूमने जाती थीं और अपनी कुछ पोशकों के बारे में बतातीं कि वे कैसी लगती थीं। मेरे बापू के विचार और संस्मरण नितांज निजी थे और उनके प्रति संकोची होने के कारण मै उनसे कभी कोई सवाल नहीं करती थी। एक बार की बात है पशु आहार बेचने वाला सेल्समैन हमारे बाड़े में बापू से बात करने आया और बातों ही बातों में बापू ने उससे कहा, ‘इससे मिलो यह है मेरा काम में हाथ बटाने वाली नई श्रमिका। मैं वहां से तमतमाकर भाग खड़ी हुई। मेरा चेहरा गर्व से लाल हो गया। अच्छा ,तो अब तक मुझे आपने बेवकूफ बना रखा था, मैं तो सोचता था कि वह आपकीलड़की है, सेल्समैन ने जवाब दिया।
एक दिन की बात है मैं टैंक को पहियो पर चलाकर खलिहान में उसकी जगह रखने पहुंची, तो मैनें अम्मा को अपने बापू से यह कहते सुना, लेयर्ड के कुछ और बड़ा होने का इंतजार करो। उसके बाद ही तुम्हें काम में कायदे का हाथ बटाने वाला मिलेगा। मैं नहीं सुन पाई कि उन्होंने जवाब में क्या कहा किन्तु मैं उनके चुपचाप होकर बात सुनने के तरीके से खुश थी। वे यही अंदाज किसी सेल्समैन या अजनबी से बात करते समय अपनाते थे। मैं मानती थी कि मेरी अम्मा का इस काम से कोई ताल्लुक नहीं है और चाहती थी कि बापू इस बात को मानें। लेयर्ड के काम से उनका क्या मतलब था? वह तो किसी के काम में हाथ नहीं बंटाता था। इस समय वह कहां है? कहीं झूले पर खुद को झुलाकर चक्कर खा रहा होगा, कहीं गोल-गोल घूम रहा होगा या रेंगने वाले छोटे-छोटे मकोड़े पकड रहा होगा। जब तक मैं अपना काम पूरा नहीं कर लेती, वह एक बार भी मेरे साथ नहीं टिकता।
‘इसके बाद मैं उसे घरेलू कामों में लगा सकूंगी’, मैने अपनी अम्मा को कहते सुना। ‘वह मेरे बारे में बड़ी बेहूदगी से बात करती है, यह बात मुझे हमेशा सालती है, मैने पीठ घुमाई नहीं कि वह भाग खड़ी हुई’। वह ऐसी लडकी नहीं है जैसी परिवार में होनी चाहिए’ अम्मा चुगली पर चुगली करती जा रही थी। जब यह बातचीत चल रही थी मैं उनके सामने न जाकर चुपचाप जाकर खलिहान के कोने में रखे पशु आहार के बोरे पर बैठ गई। मुझे पहली बार लगा कि मेरी अम्मा भरोसे के काबिल नहीं है। वह बापू से अधिक सहदय हो सकती है, उसे आसानी से मूर्ख बनाया जा सकता है, लेकिन भरोसा नहीं किया जा सकता। जो बातें उसने कहीं या करीं थीं उसके असल कारण का पता नहीं था। वह मुझे प्यार करती थी और देर रात तक मेरी पसंद की ड्रेस तैयार करने में लगी रहती ,ताकि मैं उसे पहनकर सुबह स्कूल जा सकूं।
लेकिन अम्मा मेरी दुश्मन भी थी। वह हमेशा कोई न कोई कुचक्र चलाती रहतीं। अब वह नया चक्कर चला रही थी कि मैं अधिक से अधिक समय घर में ही रहूं, जो मुझे पसंद नहीं था। इसी के चलते वह मुझे न किसी काम में फंसाए रखना चाहती थी। मुझे ऐसा लगा कि वह ऐसा केवल कुटिलता के कारण कर रही है, अपनी ताकत आजमाने के लिए कर रही है। मुझे यह कभी नहीं लगा कि वह तनहा या ईष्यालु हो सकती है। जिनके यहां ऐसे बडे न हों, वे बड़े भाग्यशाली होते हैं। मैं पशु आहार की बोरी पर बैठकर उस पर पीछे की ओर तब तक एडिंयां जोर-जोर से मारती रही, धूल उड़ाती रही और सामने नहीं आयी जब तक वह अम्मा चली नही गई। मुझे पता था कि किसी भी हाल में बापू अम्मा की बात पर कान नहीं देंगे। भला कौन सोच सकता था कि लेयर्ड भी मेरा काम कर सकता है। अम्मा की बातों से पता लगा कि उन्हें चीजें कैसी हैं, इस बारे में कोई अनुमान नहीं है।
अरे हां मैं यह बताना तो भूल ही गई कि लोमड़ियों को खिलाया क्या जाता था? मुझे बापू के खून लगे एप्रन से पता चला गया था कि उन्हें घोड़े का मांस खिलाया जाता था। उस समय ज्यादातर किसान घोड़े रखते थे और जब भी कोई घोड़ा उम्र के चलते काम करने लायक नहीं रह जाता या टांग टूट जाती या गिरकर उठ नहीं पाता उनके मालिक मेरे बापू को बुलाते और बापू और हेनरी ट्रक से उनके खेत पर जाते। अमूमन वे किसान को पांच से बारह डालर देकर घोड़े को वहीं गोली मार देते और उसके मांस के टुकड़े कर लेते। लेकिन यदि उनके यहां पहले ही लोमडियों को खिलाने के लिए काफी मांस होता तो वे उसे जीवित ले आते और अस्तबल में कुछ दिन या हफ्ते तब तक रखते, जब तक कि पहले वाला मांस खत्म नहीं हो जाता।
दूसरे महायुद्ध के बाद किसान खेती के काम के लिए टैक्टर खरीदने लगे और घोड़ो से छुटकारा पाने की सोचने लगे, क्यों कि वे उनके लिए किसी मतलब के नहीं रह गए थे। यदि घोड़ा संर्दी के दिनों में आता तो हम उसे बसंत तक रखने की सोचते। इसके लिए हमें भूसे की बड़ी मात्रा में जरूरत होती और यदि सर्दियों में ज्यादा बर्फ पड़ जाती और हलों से सड़कों की बर्फ हटाना मुश्किल हो जाता, जब घोड़े और बर्फ कटर की सहायता से कस्बे तक जाना आसान हो जाता।
अब की सर्दी मे जब कि मैं ग्यारह साल की हो गई थी, हमारे अस्तबल में दो घोड़े थे। हमें नहीं पता उनके पहले नाम क्या थे इसलिए हमने उन्हें मैक और फ्लोरा के नाम से बुलाना प्रारंभ कर दिया था। मैक थोड़ा बूढ़ा कामकाजी, कज्जली और बेपरवाह घोड़ा था। फ्लोरा बादाम रंग की सवारी घोड़ी थी। हम उन दोनों को कटर में ले गए। मैक सुस्त था और उस पर काबू पाना सरल था। फ्लोरा बगल से निकलती कारां यहां तक कि दूसरे घोड़ों से भी बिदक जाती थी। लेकिन हम उसकी रफ्तार, कदमताल, बांकेपन और भगोड़ेपन के मुरीद थे। इस बार की सर्दी मेरे लिए इसलिए भी खास हो चली थी क्यां कि अम्मा की उस दिन लोमड़बाड़े वाली बात से जुड़ी चीजें बीच-बीच में सुनने को मिल जाती थीं। मैं असुरक्षित महसूस करने लगी थी। मुझे ऐसा लगता था कि मेरे इर्दगिर्द जो भी लोग हैं उनके दिमाग में यह बात लगातार चल रही है और हट नहीं रही है।
‘लड़की’ शब्द जो मेरे लिए पहले बच्चे जैसा मासूम, बेफिक्र प्रतीत होता था, अब वैसा नहीं लग रहा था। लड़की का मतलब वह नहीं था, जैसा मैने सोचा था और जैसी मैं थी। यह ऐसी परिभाषा थी जिसके साथ हमेशा से तिरस्कार और निराशा के बल पड़े हुए थे। इससे इतर यह मेरे ऊपर एक मजाक भी था। एक बार की बात है मैं और लेयर्ड झगड़ पड़े, और मुझे उसके खिलाफ पूरी ताकत लगानी पड़ गई। इस झगड़े में लेयर्ड ने एक क्षण के लिए मेरी बांह पकड़कर मरोड़ दी और सचमुच मुझे लग भी गई तो हमारे हेनरी काका इस पर हंसकर कहने लगे-‘लेयर्ड काफी बड़ा होता जा रहा है, लेकिन मैं भी तो बड़ी होती जा रही थी, यह बात उनके दिमाग में नहीं आई। ऐसे ही एक बार हमारी दादी हमारे साथ कुछ दिन के लिए रहने आई और लड़की के संबंध में और भी बातें सुनने को मिलीं- ‘लड़कियों को दरवाजे इस तरह से बंद नहीं करने चाहिए; लड़कियां जब नीचे बैठें तब उन्हें घुटने एक साथ रखने चाहिए’। इससे भी बदतर यह कि जब मैं कोई सवाल करती, बोलतीं यह लड़कियों का काम नहीं है। लेकिन उनकी नसीहतों पर गौर किए बिना मैने जोर से दरवाजा बंद करना, जितना अटपटे ढंग से उठ- बैठ सकती थी, करना जारी रखा यह सोचकर रखा कि ऐसा कर मैं अपने आप को आजाद रख सकूंगी।
जब बसंत आया, तो घोड़ों को बाड़े में खुला छोड़ दिया गया। मैक अहाते की दीवार से सटकर खड़ा हो गया ताकि अपनी गर्दन और कूल्हे को रगड़ सके, लेकिन फ्लोरा दुलकी चाल से चलते हुए अपने खुरों से बाड़ पर टप-टप की आवाज कर अहाते की चाहारदीवाऱ़ पर पिछले पैरों पर खड़ा हो गयी। बसंत के आने से सर्दी के रमणीक प्राकृतिक दृश्य तिरोहित हो गए और बर्फ की परत जल्दी ही पिघल गई थी और भूरी और कड़ी जमीन दिखाई देने लगी। खुलेपन का अलौकिक अनुभव हो रहा था। हमने अपने जूतो पर अभी-अभी रबर चढ़ाई थी। हमारे पैर अटपटा सा हल्कापन महसूस कर रहे थे। शनिवार के दिन हम अस्तबल से बाहर निकले और हमने सभी दरवाजों को खुला छोड़ दिया ताकि वहां धूप और ताजा हवा पहुंच सके। हेनरी काका वहां मटरगस्ती करते हुए अस्तबल के पीछे स्टाल पर लगाए गए अपने कैलेंडर्स के कलैक्शन का जायजा ले रहे थे, जिन्हें मेरी अम्मा नहीं कभी नहीं देखा था।
आओ बच्चो अपने पुराने मित्र मैक को अलविदा कहो, हेनरी बोले। तुम उसे अब जई के दानों का जायका कराओ। उन्होंने लेयर्ड की अंजुरी में जई के कुछ बीज दिए और वह उन्हें मैक को खिलाने लगा। मैक के दांत बड़ी बुरी हालत में थे। वह उन्हें धीरे-धीरे खा रहा था। जई के बीजों को पूरे मुंह में इधर-उधर घुमाता और कोशिश करता कि वे दांढ के नीचे आकर पिस जाएं। ‘बेचारा बूढ़ा मैक’ हेनरी काका हमदर्दी जताते लोकोक्ति पर आ गए- घोड़े के दांत गए और वह जान से गया। यही रिवाज है। क्या आप आज उसे मार देंगे? मैं पूछ बैठी। असल में मैक और फ्लोरा अस्तबल में इतने दिन से रह रहे थे कि मेरे दिमाग से यह बात निकल ही गई थी कि वे कभी मारे भी जा सकते है। हेनरी ने मेरी बात अनसुनी कर दी और उंचे, कांपते और दर्दभर स्वर में गाने लगा- ‘अब बेचारे चचा नेड के लिए कोई काम नहीं बचा, वे वहां चले गए जहां सारे अच्छे गधे जाते है’ं। इसके पहले उनका यह गाना बंद होता मैं वहां से बाहर आ गई और गलियारे में बैठ गई।
मैने बापू और हेनरी काका को कभी किसी घोड़े को गोली मारते नहीं देखा था, लेकिन इस बात का पता था कि इस काम को कहॉ अंजाम दिया जाएगा। पिछले साल की गर्मियों में हमने घोड़े को दफनाने के पूर्व उसकी अतंडियां देखी थीं। हमें लगा था कि जैसे कि कोई काला सांप सूरज में कुंडली मार कर बैठा हुआ है। मैं सोच रही थी कि यदि खलिहान के अंदर चले जाएं और हमें वहां कोई बड़ी सासं या सुराख मिल जाए तो देख पाएंगे कि वे क्या करते हैं। यह वह बात नहीं थी कि जो मैं देखना चाहती थी; बल्कि इसी तरह यह कि यदि कोई चीज होती है तो उसे देखना और जानना बेहतर होता है।
मेरे बापू हाथ में बंदूक लेकर घर से नीचे उतरे और मुझे देखकर पूछा, यहां क्या कर रहे हो?
‘कुछ नहीं’।
‘उपर जाओ और घर के इर्द गिर्द खेलो’।
उन्होंने लेयर्ड को भी अस्तबल से बाहर भेज दिया। मैनें लेयर्ड से कहा कि, क्या तुम देखना चाहते हो कि वे मैक को कैसे गोली मारेंगे? और इसके पहले कि कोई जवाब देता मैं उसे बाड़े के सामने वाले फाटक तक ले गई। आहिस्ता से उसे खोला और हम अंदर दाखिल हो गए। चुप रहना वरना वे हमें सुन लेंगे, मैने धीरे से कहा। हम अस्तबल के अंदर हेनरी काका और बापू बीच चल रही बातचीत सुन सकते थे। इसके बाद हमने मैक के घिसटते से भारी कदमों की आवाज सुनी।
अटारी में ठंड और अंधेरा था। सासों से धूप की तिरछी किरणे अंदर पड़ रही थीं। सूखी घास का ढेर काफी नीचे था। हमारे पैरो के नीचे उंची-नीची, उबड खाबड़ जगह थी। कोई चार फीट की उंचाई पर एक धरन दीवारों के चारों ओर जा रही थी। हमने एक कोने पर सूखी घास का ढेर ऊंचा किया और लेयर्ड को ऊपर आने के लिए प्रोत्साहित किया और खुद को ऊपर की ओर उठाया। धरन बहुत चौड़ी नहीं थी। हम इसके सहारे अहाते की दीवारो पर अपने सपाट हाथ रखकर धीरे -धीरे बढ़े। वहां कई सूराख थे और उसमें मे से मुझे एक ऐसा मिल गया जिसमें से मैं वह कुछ देख सकती थी जो देखना चाहती थी- अहाते का कोना, फाटक और मैदान का कुछ हिस्सा। लेयर्ड को सूराख नहीं मिला और वह शिकायत करने लगा। मैने उसे दरवाजे के दो पटरों के बीच में चौड़ी सी दरार दिखाई और चुप रहकर इंतजार करने को कहा। ‘यदि उन्हें पता चल गया कि हम यहां हैं, तो सब गड़बड़ हो जाएगी’, मैने उसे सावधान किया।
मेरे बापू बंदूक लिए हुए नजर आए। हेनरी काका मैक को गिरवें से ला रहे थे। उन्होंने इसे एक ओर रख दिया और अपनी सिगरेट के पेपर्स और तंबाकू निकाल ली; उन्होंने इससे बापू और अपने लिए दो सिगरेट तैयार की। जब यह सब कुछ चल रहा था मैक बाड़ के किनारे लगी पुरानी और सूखी घास की अपनी नाक से टोह ले रहा था। इस बीच मेरे बापू ने फाटक खोला और वे मैक को अंदर ले आए। हेनरी काका ने मैक को रास्ते से मैदान के हिस्से की ओर बढ़ा दिया और दोनों आपस में बातें करने लगे, लेकिन हमें उनकी बातें सुनाई नहीं पड़ रही थीं। मैक फिर से ताजा घास ढूंढने लगा जो उसे नहीं मिली। मेरे बापू नाक की सीध में चलकर एक दूरी पर रुक गए जो उन्हें अपने अगले काम के अनुकूल ले रही थी। हेनरी भी मैक से दूर चल रहा था, लेकिन बगल में चलते हुए अब भी बेपरवाह ढंग से गिरवें को पकड़े हुए था। मेरे बापू ने बंदूक उठाई और मैक ने नजर उठाकर ऐसे देखा कि जैसे कुछ दिखाई पड़ा हो और बापू ने गोली दाग दी।
मैक एकदम ठंडा नहीं हुआ बल्कि लहराया, अगल-बगल गिरते- झुकते हुए पहले अपनी ओर गिर पड़ा। इसके बाद अपनी पीठ के उपर घूम गया और हैरतअंगेज ढंग से उसने कुछ देर के लिए अपने पैर हवा में चलाए। इस पर हेनरी काका हंसे जैसे मैक ने कोई चाल चली हो। लेयर्ड जिसने आश्यचर्य की लंबी और दर्दभरी लंबी सासं ली और थोड़ा जोर से बोला, अभी वह मरा नहीं। और मुझे भी लगा कि जैसे यह बात सच हो सकती है। लेकिन उसकी टांगे निश्चल हुईं वह एक बार फिर से अपनी ओर लुढ़का, छटपटाया और ठंडा हो गया। वे दोनों लोग आगे आए और व्यापारी की भांति उसका मुआयना किया। वे झुके और उसके माथे का जायजा लिया जहां से होकर गोली अन्दर गई थी। इसी वक्त मुझे भूरी घास पर उसका खून दिखाई पड़ा।
अब वे उसकी खाल उतारेंगे, उसके मांस के टुकड़े करेंगे, मैं बोली। चलो, मेरी टांगे थोड़ी कांपी और मैं धीरे से सूखी घास पर कूद गई। अब देखा तुमने कि घोड़े को कैसे गोली मारी जाती है, मैने यह बात खुद को शाबासी देने वाले अंदाज में ऐसे कही जैसे यह दृश्य पहले भी कई बार देखा हो। ‘आओ चलो देखे कि बखार की बिल्लियों में किसी ने घास पर बच्चे तो नहीं दिए’ यह सुनकर लेयर्ड उछल पड़ा। वह फिर से छोटा और आज्ञाकारी जैसा लगने लगा। अचानक मुझे याद आया कि जब वह बहुत छोटा था, मैं उसे बखार में लाई थी और उसे सीढ़ी से धरन सामान। के सबस ऊपर तक चढ़ने को कहा था। तब भी बसंत का मौसम था और सूखी घास छोटी छोटी थी। मैने यह काम तब कुतूहलवश किया था, ऐसी इच्छा के चलते कि कहीं कुछ हो जाए और लोगों को बता सकूं। उसने तब हलके भूरे रंग का सफेद चेक वाला वह कोट पहन रखा था, जो मेरे कोट से काटकर बनाया गया था। वह वैसे ही ऊपर चढ़ गया और जैसा मैने बताया एक धरन पर बैठ गया। उसके एक ओर काफी नीचे सूखी घास थी और दूसरी ओर बखार की फर्श और पुराना मशीनरीऐसा कर मैं चिल्लाती हुई अपने बापू के पास दौड़ी, ‘लेयर्ड धरन के ऊपर चढ़ा हुआ है। मेरे बापू दौड़े आए और पीछे-पीछे मेरी अम्मा भी। मेरे बापू बड़़बड़ाते हुए सीढ़ी पर चढ़े और अपनी बाहों में लेयर्ड को लेकर नीचे उतरे। इस पर अम्मा सीढ़ी के सामने झुकी और रोना शुरू कर दिया। वे मुझसे कहने लगे, ‘तुम्हे उस पर नजर रखनी चाहिए थी’? लेकिन किसी को सचाई मालूम नहीं थी। लेयर्ड इतना नहीं बोलता था कि इस बारे में ज्यादा बता सके। इसके बाद मैं जब भी उस कोट को अलमारी में टंगा देखती या नीचे फटे थैले में नीचे की ओर रखा हुआ मेरे पेट में बल पड़ने लगते और मन अपराध बोध की उदासी से भर जाता।
दो हफ्ते बाद मुझे पता चला कि वे फ्लोरा को मारने जा रहे हैं। यह बात मुझे पिछली रात तब पता चली जब मैने अम्मा को यह कहते सुना कि क्या सूखी घास ऐसी ही जमी रहेगी। इस पर बापू ने कहा, कोई न, कल से केवल गाय बचेगी और हम उसे अगले हफ्ते से चराने ले जा सकेंगे’। इससे साफ हो गया था कि कल सुबह फ्लोरा की बारी है। इस बार मैने उसे मारे जाते हुए देखने के लिए नहीं सोचा। यह तो केवल एक बार देखने की बात होती है। मैं इस घटना के बारे में ज्यादा सोचती भी नहीं थी, सिवा तब के जब स्कूल में काम करते हुए व्यस्त होती और आइने के सामने बालों में कंघी करते हुए यह सोच रही होती कि एक दिन मैं बड़ी होकर सुंदर दिखूंगी। ऐसे में मेरे सामने पूरा दृश्य कौंध जाता। बापू का सधे हाथों से आराम से बंदूक उठाना और मैक के हवा में पैर चलाने पर हेनरी काका का हंसना। उसे लेकर मेरे दिमाग में किसी प्रकार के खौफ या खिलाफत की भावना नहीं थी, जो शहर के किसी बच्चे के मन मे हो सकती है। मैं जानवरों को मरते हुए देखने की अभ्यस्त थी, क्योंकि यह हमारी आजीविका की जरूरत में शामिल था। इस पर भी मैं थोड़ा शर्मिन्दगी का अनुभव करती थी और अपने पिता और उनके काम के प्रति मन में नई तरह की सजगता और टालने का भाव रहता था।
वह दिन बड़ा खुशनुमा था और हम बांड़े के घेरे में पेड़ की उन टूटी शाखाओं को साफ करने जा रहे थे जो सर्दी के तूफान में अपने तनों से चरमरा कर अलग हो गई थीं। हमें यही कुछ करने को कहा गया था और हम उन्हें शंक्वाकार तंबू बनाने में इस्तेमाल करना चाहते थे। हमने पहले फ्लोरा के हिनहिनाने की, फिर बापू के कुछ कहने और हेनरी काका के चिल्लाने की आवाज सुनी और हम बाड़े की ओर यह देखने को भागे कि वहां क्या हो रहा है।
अस्तबल खुला हुआ था। हेनरी फ्लोरा को लेकर बाहर निकले ही थे कि वह उनके हाथ से अपना गिरवां तुड़ाकर भाग खड़ी हुईं। वह पूरे बाड़े के अंदर इधर-उधर भागने लगी। हम बाड़े की चौहद्दी पर चढ़ गए। उसे भागते, हिनहिनाते, अपने पिछले पैरों के बल पर खड़े होते, कुलांचे मारते हुए और किसी योरोपीय फिल्म की तरह घुड़की देते हुए देखना हमें बड़ा रोमांचकारी लग रहा था। हालांकि वह बादामी रंग की पुरानी सवारी घोड़ी थी किन्तु आज मवेशीखाने के बिफरे घोड़े के माफिक लग रही थी। मेरे बापू और हेनरी उसके पीछे-पीछे दौड़े और उसके लटकते हुए गिरवें को पकड़कर उसे काबू में करने की कोशिश की। उन्होंने उसे कोने में घेरकर दबोचने की भी कोशिश की और वे अपनी इस जुगत में तकरीबन सफल भी हो गए थे तब ही उन वह दोनों के बीच से अप्रत्याशित ढंग से भाग निकली और बाड़े के कोने से घूमकर नजरों से ओझल हो गई। जैसे ही उसने बाड़ की दीवार से छलांग लगाई हमने सलाखों के खड़खड़ाने की आवाज सुनीं और हेनरी चिल्लाए, वह अब खेत में पहुंच गई है।
इसका मतलब था कि वह अब अंगेजी के ‘एल’ आकार के खेत में है, जो हमारे घर से लगा हुआ था। यदि वह संकरे रास्ते पर भागती हुई बीचों बीच पहुंच गई तो फाटक खुला हुआ था; आज सुबह ही खेत में एक ट्रक आकर खड़ा हुआ था। चूंकि मैं बाडे़ की दीवार के दूसरी तरफ खड़ी हुई थी इसलिए मेरे बापू ने मुझसे चिल्लाकर कहा, जाओ, फाटक बंद कर दो।
मैं तेजी से दौड़ी, बगीचा पार किया और पेड़ पर पड़े अपने झूले को पीछे छोड़ते हुए एक गड्ढे को लांघकर संकरे रास्ते पर आ गई। फाटक खुला हुआ था। लेकिन वह अभी बाहर नहीं निकल पाई थी। वह मुझे सड़क पर कहीं नजर नहीं आई। वह खेत के दूसरी सिरे की ओर चली गई होगी। वहां का फाटक बहुत भारी था। मैने उसे नीचे पड़ी रोड़ी से थोड़ा ऊपर किया और उसे सड़क की ओर घुमाया। मै उसे आधा ही घुमा पाई थी कि वह मुझे मेरे सामने ही चौकड़ी भरती हुई आती दिखाई पड़ी। सांकल चढ़ाने के लिए थोड़ा सा समय था। लेयर्ड मुझे इस काम में मदद देने के लिए गड्ढे से कूद कर आ भी गया था। किन्तु मैने फाटक बंद करने की बजाए, उसे और फैलाकर खोल दिया। ऐसा मैन जानबूझ कर नहीं किया। बस मुझसे ऐसा कुछ अपने आप हो गया। वह चौकड़ी भरते हुए मुझे पीछे छोड़कर भाग निकली। लेयर्ड अपनी जगह पर पैर पटककर चिल्ला रहा था, बंद करो, बंद करो। हालांकि देर हो चुकी थी और फ्लोरा बाहर जा चुकी थी। मेरे पिता और हेनरी खेत में थोड़ी देर में पहुंचे इसलिए देख नहीं पाए कि मैने क्या किया था। उन्होंने केवल इतना ही देखा कि फ्लोरा शहर की सड़क की ओर भागी जा रही है। उन्हें लगा कि मैं समय पर नहीं पहुंची।
मुझसे इस बारे में पूछताछ कर समय बर्बाद किए बिना वे जल्दी-जल्दी बाड़े में गए वहां से मारने में इस्तेमाल होने वाली बंदूक और छुरियां लेकर ट्रक में सवार हो गए; फिर उन्होंने ट्रक को मोड़ा और खेत में हमारी ओर चल पड़े। लेयर्ड ने उनसे कहा, ‘मुझे भी साथ ले चलो, मुंझे भी साथ ले चलो! हेनरी ने ट्रक को रोका और उसे भी साथ ले लिया। उन सबके जाने के बाद मैने फाटक बंद कर दिया।
मुझे लगा कि लेयर्ड सब कुछ बता देगा। मैं हैरत में थी कि मुझे क्या हो गया था। मैने इसके पहले अपने बापू की अवज्ञा कभी नहीं की थी और समझ नहीं आ रहा था कि मैनें ऐसा क्यों किया? यदि मैने ऐसा न किया होता तो फ्लोरा भाग न पाती। वे उसे पकड़कर ट्रक में ले आएंगे और आज सुबह न भी पकड़ पाए तो जो उसे देखेगा फोन पर बता देगा ओर वह दोपहर तक नही ंतो कल तक जरूर पकड़ ली जाएगी। यहां उसके लिए जंगली ंक्षेत्र तो है नहीं कि वह अदृश्य हो जाए। हमें अपनी आजीविका के लिए लोमड़ियां चाहिए और लोमड़ियों को पालने की मांस, जो इन घोड़ों से मिलता है। मैने जो किया उसका सीधा अर्थ मेरे बापू और अधिक काम करें जो कि पहले से ही काम के बोझ से दबे हुए थे। मेरे बापू को जब यह सब कुछ पता चलेगा तो मुझ पर फिर कभी भरोसा नहीं करेंगे। जब उन्हें पता चलेगा कि मैने उनकी बजाए फ्लोरा की तरफदारी की तो मैं किसी की नही रह जाऊंगी, न बापू की, न उसकी। एक ही बात है, मुझे इसका पछतावा नहीं था; जब वह मेरी ओर दौड़ते हुए आई मैने फाटक खोले रखा, यही एक बात थी जो मैं कर सकती थी।
मैं जब घर वापस आई तो मेरी अम्मा ने पूछा यह कैसा हल्लागुल्ला था? मैनें उन्हें बताया कि फ्लोरा बाड़ की दीवार फांद कर भाग गई। बेचारे तुम्हारे बापू, अब उन्हें उसके पीछे-पीछे सारे गांव में भागना पड़ेगा, उन्होंने इस्त्री बोर्ड को लगाते हुए कहा। मैं उन्हें बताना चाहती थी फिर सोचा कि रहने दो और ऊपर जाकर अपने बिस्तर पर बैठ गई।
बाद में मैं पुराने लेस लगे पर्दे के साथ बिस्तर बिछाने और स्कर्ट के छींटदार कपड़े के कुछ टुकड़े खुद ड्रेसिंग टेबल पर लगाकर बेड रूम के अपने वाले हिस्से का संवारने में लग गई। मैनें कुछ ऐसी योजना बनाई जिससे अपने और लेयर्ड के बिस्तर के बीच आड़ बन जाए और मेरा हिस्सा उससे अलग रहे। धूप में लेस लगे पर्दे गर्द भरे चिथड़े जैसे लगते थे। हम अब रात में गुनगुनाते भी नहीं थे। एक रात में जब मैं कोई गाना गा रही थी, तो लेयर्ड ने कहा कि तुम्ह अनाड़ियों की तरह गाती हो। उसके ऐसा कहने पर भी मैने अपना गाना जारी रखा, किन्तु अगली रात कोई गाना नहीं गाया। वैसे अब इसकी जरूरत भी नहीं थी क्योंकि अब हमें पहले जैसा डर भी नहीं लगता था। हम जानते थे कि वहां पुराना फर्नीचर, पुराना कबाड़ और भ्रान्ति के सिवा कुछ नहीं है। हम अब हिदायतों को भी नहीं मानते थे। लेयर्ड के सो जाने के बाद मैं बाहर चली जाती और अपनी कहानियां गढ़ती रहती, हालांकि इन कहानियों में भी कुछ अलग घट रहा था, कुछ रहस्यमयी बदलाव आ रहे थे। कोई कहानी पुराने ढंग से अनायास खतरे जैसे आग या जंगली जानवरों से शुरू होती और मैं लोगों को बचाने की ओर बढ़ जाती; लेकिन कहानियों बदलाव आ रहे थे कि मेरे आसपास के लोग मुझे बचाने लग गए थे। इन लोगों में कभी क्लास या स्कूल का लड़का होता, या हमारे टीचर कैंपबेल जो लड़कियों को बाहों में लेकर उन्हें गुदगुदाते। और इस मोड़ पर कहानी और लंबी हो जाती और इस बात पर केंद्रित होने लगती कि मेरे बाल कितने लंबे हैं? मैने कैसी ड्रेस पहन रखी है; जब तक इन विवरणों का जायजा लेती, तब तक कहानी का वास्तविक रोमांच खतम हो जाता।
रात एक बजे ट्रक वापस आया। उसके पीछे तिरपाल चढ़ा हुआ था, जिसका मतलब था कि उसके अन्दर मांस है। मेरी अम्मा को फिर से खाना गर्म करना था। हेनरी और बापू ने बाड़े में बूचड़ काम करने वाले कपड़े उतारे और सामान्य कपड़े पहन लिए। इसके बाद उन्होंने वहां लगे बेसिन में अपने हाथ, मुंह और गला धोया और अपने बालों पर पानी छिड़ककर कंघी की। लेयर्ड ने हाथ उठाकर अपने बाजू में लगे खून को दिखाते हुए कहा-हमने फ्लोरा को मार दिया और उसके पचास टुकड़े कर दिए। ठीक है, मुझे यह सब कुछ नहीं सुनना और इस हाल में मेरी टेबल के पास आना भी नहीं, अम्मा ने उसे हिदायत दी।
मेरे बापू ने उसे खून साफ कर आने को कहा। हम बैठ गए और बापू ने खाने के पूर्व के अपनी आदत के मुताबिक ‘ग्रेस’ का उच्चारण किया और हेनरी ने अपनी च्युंगम खाने के कांटे के सिरे पर चिपका दी जैसा कि वह हमेशा करते हैं; जव वह इस निकालेगा तो ऐसे करेगा जैसे उसका यह निराला अंदाज हो। हमने गर्म और जरूरत ज्यादा पक गई सब्जियों के कटोरे एक दूसरे के लिए आगे बढ़ाना शुरू कर दिए। लेयर्ड ने मेज के दूसरी ओर से मेरी ओर देखा बड़े गर्व से जोर देकर कहा, ‘यह इसकी गलती थी कि फ्लोरा भाग गई।
क्या? मेरे बापू ने कहा।
यह फाटक बंद कर सकती थी, लेकिन इसने ऐसा नहीं किया। इसने उसे खोल दिया और फ्लोरा भाग खड़ी हुई।
क्या यह सच है, बापू ने पूछा?
हर कोई मेज पर मेरी ओर देख रहा था। मैने बड़ी मुश्किल से निवाला निगलते हुए हां में सिर हिलाया।
बापू ने नापंसदगी का इजहार करने वाले स्वर के साथ कहा, तुमने ऐसा क्यों किया।
मैने कोई उत्तर नहीं दिया। मैने कांटा नीचे रख दिया और मेज से भेजे जाने का इंतजार किया, बिना ऊपर की ओर देखे हुए।
लेकिन ऐसा होना नहीं चाहिए था। कुछ देर तक किसी ने कुछ नहीं कहा। फिर लेयर्ड ने कहा सच्ची देखो तो, ‘वह रो रही है’।
‘कोई बात नहीं’ मेरे बापू ने सांत्त्वना भरे लहजे में कहा। उन्होंने विनोद पूर्ण ढंग से मेरी स्थिति को संभालने के लिए कहा, ‘अरे ये लड़की ही तो है’। मैने उनकी इस बात कोई प्रतिवाद नहीं किया, दिल से भी नहीं। शायद यह सच भी था।

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